कर्मधारय और बहुव्रीहि | द्विगु और बहुव्रीहि समास में अंतर: /watch/AXrKzfogVjzgK
कर्मधारय समास : /watch/UCocD1MSOk8Sc
तत्पुरुष समास के भेद: /watch/smBOn0aXKpVXO
अव्ययीभाव समास : /watch/8eXKC1WSWt4SK
दो या दो से अधिक शब्दों अथवा पदों के मेल से बनने वाली नई शब्द रचना समास कहलाती है |
शब्द – वर्णों से मिश्रित सार्थक इकाई शब्द कहलाती है ; जैसे – ईश्वर
पद – जब शब्द वाक्य में प्रयुक्त हो जाता है तो पद बन जाता है |
जैसे - ईश्वर ने सभी जीवों को बनाया है |
समास सम् + आस से मिलकर बना है जिसका अभिप्राय है शब्दों अथवा पदों को पास -पास लाना |यह जो शब्दों को पास -पास लाने की प्रक्रिया है इस प्रक्रिया को संक्षिप्तता की प्रक्रिया कहा जाता है | संक्षिप्तता की प्रक्रिया से बनाए जाने वाले यौगिक शब्द को समस्त पद अथवा सामासिक पद कहा जाता है |
समास विग्रह – पास -पास लाकर जोड़े हुए शब्दों को जब अलग -अलग किया जाता है तो इस अलग करने की प्रक्रिया को समास विग्रह कहा जाता है |
चारपाई – समस्त पद
चार हैं पाए जिसके – समास विग्रह
यज्ञवेदी – समस्त पद
यज्ञ के लिए वेदी – समास विग्रह
समास व संधि में अंतर
1 समास में शब्दों का मेल होता है जबकि संधि में वर्णों का मेल होता है |
जैसे – लम्बा है उदर जिसका – लम्बोदर – समास ( दो या दो से अधिक शब्दों का मेल )
विद्या + आलय – विद्यालय – संधि ( दो वर्णों का मेल )
2 शब्दों को अलग करने की प्रक्रिया को समास विग्रह कहा जाता है जबकि वर्णों को अलग करने की प्रक्रिया को संधि विच्छेद कहा जाता है |
जैसे – हिमालय – हिम + आलय – संधि विच्छेद ( वर्णों को अलग करना )
राजपुरुष – राजा का पुरुष – समास विग्रह ( शब्दों को अलग करना )
3 जहाँ समास हो जरुरी नहीं है वहाँ संधि भी हो क्योंकि संधि में शब्दों को कम ज्यादा नहीं किया जा सकता जबकि समास में कम या अधिक किया जा सकता है |
समास के प्रकार
1 जिस समास में अर्थ की दृष्टि से पहला पद प्रधान हो / प्रमुख हो वह – अव्ययीभाव समास
2 जिसमें दूसरे पद का अर्थ प्रधान हो वह – तत्पुरुष समास
3 जिसमें दोनों शब्दों का अर्थ समान रूप से प्रधान हो वह – द्वन्द समास
4 जिसमें दोनों ही शब्दों के मूल अर्थो से भिन्न तीसरा अर्थ निकले वह - बहुव्रीहि
तत्पुरुष समास के दो उपभेद हैं – १ कर्मधारय समास २ द्विगु समास