Welcome to the Daily Current Affairs session with Sunil Singh. In this series, he will summaries daily news from The Hindu and PIB (Press Information Bureau) in Hindi language. These videos are extremely important for Hindi medium students who are preparing for competitive exams like UPSC CSE.
प्रभाव 2.0 - 80 Days Crash Course for UPSC CSE 2020 Prelims is purely for Hindi medium students. We have brought together the best Educators from Let's Crack UPSC CSE Hindi - Sunil Singh (Current Affairs), Rajesh Kumar (Environment & Ecology), Vivek Vaishnav (Geography), Md. Ndeem Khan (Complete History), Chanchal Kumar Sharma(Polity), Pradeep Kumar Singh (Economics) and Lavkush Pandey (Science & Technology) in one ultimate crash course.
Schedule of Educators -
1. Lavkush Pandey - 8:00 AM (Science & Technology - Monday to Friday)
2. Sunil Singh - 09:00 AM (Current Affairs - Everyday)
3. Nadeem Khan - 11:00 AM (History - Monday to Friday)
4. Chanchal Kumar Sharma - 12:00 PM (Polity - Monday, Wednessday and Friday)
5. Pradeep Kumar Singh - 2:00 PM (Economics - Sunday,Tuesday and Thursday)
6. Rajesh Kumar Sharma - 7:00 PM (Ecology & Environment - Monday, Wednessday and Friday)
7. Vivek Vaishnav - 8:00 PM (Geography - Everyday)
This course helps aspirants from Hindi medium background crack the Prelims 2020 exams as it covers all of the important subjects in complete detail. Watch the full course to get a complete understanding of the topics that are most important from the Prelims perspective. The course will be completed on YouTube before the Prelims.
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In case of any questions, speak to an educator. Give us your details and we will call you back.
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@upschindiunacademyمنذ 2 سنواتTo avail the BEST offers on any Unacademy Subscription, click here:
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@ponmchandponamchandbirle7406منذ 4 سنواتसर जी आपको जैसा लगता है आप ऐसा करें हम सहमत हैं क्योंकि आप हमारी भलाई के लिए ही करेंगे और आप अपने जो भी नवाचार किया है वहबहुत अच्छा है और आप आगे भी ऐसे ही प्रयास करते रहे फिर चाहे उसमें कितना ही समय क्यों ना लगे हम द हम चार-पांच घंटे तक हिंदू की क्लास देख सकते ....وسعت71
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@devyanipatel3005منذ 4 سنواتYes, sir you can do whatever you want we are always with you..Jay Hind.. 33
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@amandeepkhandwal2915منذ 4 سنواتआपके चरणों मे शत शत नमन , जैसा आपको उचित लगे सर्। हम पूरी तरह सहमत है । 1
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@pagalShyamPremi7منذ 4 سنواتसर आप जैसा इनोवेशन करें हम लोग सब तैयार हैं द हिंदू = UPSC crack= सुनील सर 57
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@misskomal9495منذ 4 سنواتSir.. you are so great. .your's decision is also good. we always with you . 1
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@nanditatiwari9810منذ 4 سنواتSir, Aap 10 :00 AM the Hindu class kr dijiye, Hume innovative strategies chahiye kyoki Hume selection chahiye 19
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@Aadhyatmhisaar2184منذ 4 سنواتSir me aapse 1000000% sahemat hu mja aa gya aaj ke lecture me. 5
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@Lokesh_indianمنذ 4 سنواتआपके lecture देख कर हममें भी कुछ कर सकने की हिम्मत आयी है सर जी। आप केवल UPSC ही नही जिंदगी कैसे जीना हैं यह भी सिखाते हैं। हम अतिसंवेदनशील क्षेत्र में रहते हैं। हृदय से धन्यवाद गुरुजी
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@Dream12948منذ 4 سنواتYes sir you can change time because we are grateful for your struggle
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@ajaykashyap2047منذ 4 سنواتBahoot accha sir aap innovation karte rahiye welcome he 1
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@rahuldhebe0815منذ 4 سنواتSir Today's Hindu discation was very good and also more inovation liye we will be glad 1
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@shivanshchauhan3995منذ 4 سنواتसमय ही वह रंग है जो अनेक अनेक रगों में विभाजित होता है और पठन पाठन प्रक्रिया द्वारा फिर एक हो जाता है शब्द के आलोक में Sir aap Baje hi class ताकि महिला भी अपना घर का काम कर ले और शान्ति से Hindu ....وسعت21
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@nasreennaz2771منذ 4 سنواتSir apka inovation bht acha hai..thank u sir
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@architadubey5995منذ 4 سنواتAb aise hi pdhana sir,,,,,ye sbse best h 1
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@surendrachoudhari6646منذ 4 سنواتSir we are always with you and your decision . Thanks you sir.
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@sriramji6233منذ 4 سنواتIntelligence quotient Development program of Rattification Series ESKA KYA HOGA SIR 5
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@festivalenjoy1995منذ 4 سنواتसर आप बहुत ही अच्छा पढ़ाते हैं आप जो भी नवाचार करते हैं लाजवाब । कंटेंट बहुत अच्छा लगा। आप १० बजे ही आए बहुत अच्छा है। सादर प्रणाम।
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@jatinjain3312منذ 4 سنواتGjb tarika hai guru ji tension door kar de 1
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@civilaspirants985منذ 4 سنواتSir aap jo bhi innovation करते ho vo hamre liye hamesha hi helpful होता hai 1
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@vijayguptacaterers6424منذ 4 سنواتसर आपको क्लास की टाइमिंग जो भी आप करना कर लीजिए हमारी तरफ से कोई प्रॉब्लम नहीं है बट आप हिंदू क्लास रोज लेते रहिए जब तक हम लोग हिंदू ए क्लास नहीं देखते हैं जो भी हम लोग पढ़ते है वो हमें पच नहीं पता है मतलब अजीव सा लगता है आपकी हिंदू की क्लास देखने के बाद हम लोग कुछ अच्छा महसूस कर पाते है Ok sir ap class time 10 Am Kar dijiyega no problem sir Thank you so much sir ....وسعت22
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@gurusansar713منذ 4 سنواتSunil abhivayakti naam hi vayakat karta hai ki. Aapki abhivayakti ka koi saani nhi Great personality sunil singh sir. Thanks sir
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@rajniyadav2768منذ 4 سنواتसर आपके नवाचार की रणनीति विशेष सराहनीय है इसी प्रकार साथ बनाए रखियेगा ,समय की कोई समस्या नहीं है आप जिस समय उचित समझे क्लास करा सकते है क्यों कि आप नवाचार भी हम छात्रों के लिए के रहे है । आपका सहृदय धन्यवाद एवं आभार ....وسعت2
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@rainapandey2482منذ 4 سنواتSir aapka ye innovation best hai Plz aap aise hi kraye You are a best teacher
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@dheerajsrivastava8393منذ 4 سنواتप्रश्न:-✍️✍️✍️✍️ भारत को आज सीमा पर दो मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है परंतु विदेश नीति एक मोर्चे पर आक्रामक तो दूसरे पर शालीन है इसे स्पष्ट करते हुए भारतीय विदेश नीति को भविष्य की धार का निर्धारण कीजिए। उत्तर:-✍️✍️✍️✍️✍️ वर्तमान पूर्ण कालीन भारत कोरोनावायरस से उबर नहीं पाया किसी एलएसी पर भारत के साथ आक्रामक नीति अपना रहा है साथ ही भारत को पूरा का पुराना शत्रु पाकिस्तान जो हमेशा से वार पर वार करता रहता है इसीलिए वर्तमान में भारत आज सीमा पर दो मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है यहां भारत पाकिस्तान पर विदेश नीति का आक्रामक रुख द्वारा अपना रहा है वहीं दूसरी ओर चीन पर विदेश नीति की शादी नीता का रुख अपना रहा है इसी परिपेक्ष में हम अगर कुछ पुराने मुद्दों को देखें तो ऐसा प्रतीत होता है कि 1959 से ही भारत वास्तविक शत्रु बना रहा है 1962 के दशक में चीन का युद्ध हुआ तो उसमें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने हिंदू चीनी भाई भाई का नारा दिया और सिर्फ भारत की सुरक्षा के समक्ष एकमात्र खतरा पाकिस्तान को समझा और इसका परिणाम 1962 का युद्ध हुआ और भारत के हाथ से तिब्बत का क्षेत्र निकल गया इसी स्थिति को भागते हुए 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी उन्हें आशंका थी कि भारत को चीन मदद दे सकता है इसीलिए उन्होंने एक शांति और मित्रता सहयोग की संधि की जो भारत और यू एस एस आर के बीच हुई इसे ही डिप्लोमेटिक बीमा पॉलिसी कहा जाता है जिससे चीन शांत बैठ गया वर्तमान में सरकार की विदेश नीति:- पीएम नरेंद्र मोदी जी कब की बहन वार्ता 2018 और मामन पुरम तमिलनाडु में 2019 में मोदी और सी जिनपिंग की जिसमें कहा जा सकता है कि भारत और जारी ग्रुप से वार्ता करना तथा चीन और भारत के संबंधों में मिठास लाना चाहता है लेकिन वास्तविक समस्या सीमाओं की है जो हर बार वार्ता से बाहर होती हैं भविष्य की राह:- भारत को विदेश नीति के संदर्भ में जैसा इंदिरा गांधी के कार्यकाल में इंदिरा गांधी ने विदेश नीति अपनाई थी जिसे डिप्लोमेटिक पॉलिसी कहा जाता है इसी तरह की पॉलिसी अपनाने की आवश्यकता है ....وسعت7
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@anukritikumarikumari832منذ 4 سنواتSunil sir.God hai hindi medium k.bhagwan aapko Heathly rakhe. 1
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@anshpatel4672منذ 4 سنواتOf course sir you can do whatever you want we are always with you completely
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@successwithrashmi9321منذ 4 سنواتThank you sir very much apka innovation bohat hi acha hai . Apke jaisa analysis pure you tume m hindi m koi bhi nahi karata hai . AAP hindi walo k liye Deepak hai 2
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@BHANUPRATAP-tm6jjمنذ 4 سنواتQ:-चुनाव कानून के मूलभूत सिद्धांतों में से एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव है बैलेट की गोपनीयता का सिद्धांत संवैधानिक लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण तत्व है जिसका उद्देश्य इस लक्ष्य को हासिल करना है सुप्रीम कोर्ट के मतदान की गोपनीयता के हालिया निर्णय के औचित्य का परीक्षण कीजिए Secrecy of ballot is the cornerstone of free and fair elections, says Supreme Court सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मतपत्र की गोपनीयता स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की आधारशिला है हालांकि, एक मतदाता स्वेच्छा से गैर-प्रकटीकरण के विशेषाधिकार को माफ कर सकता है, यह कहता है मतपत्र की गोपनीयता स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की आधारशिला है। एक मतदाता का चुनाव स्वतंत्र होना चाहिए और लोकतंत्र में गुप्त मतदान प्रणाली इसे सुनिश्चित करती है, सर्वोच्च न्यायालय ने एक निर्णय लिया है। मतदाताओं को मतपत्रों की गोपनीयता के अधिकार की रक्षा करना कानून की नीति है। यहां तक कि मतदाता को यह बताने के लिए भी मजबूर किया जा सकता है कि उसने मतदान किया है या नहीं, यह एक दूरस्थ या विशिष्ट संभावना है। मताधिकार का प्रयोग करने की स्वतंत्रता, "जस्टिस एनवी रमना, संजीव खन्ना और कृष्ण मुरारी की तीन-न्यायाधीश पीठ ने मनाया। अदालत ने कहा कि मतपत्रों की गोपनीयता का सिद्धांत संवैधानिक लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण संकेत है। न्यायमूर्ति खन्ना, जिन्होंने निर्णय लिखा, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 94 का उल्लेख किया, जो मतदाता के विशेषाधिकार को उसकी पसंद के बारे में गोपनीयता बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है। हालांकि, एक मतदाता स्वेच्छा से गैर-प्रकटीकरण के विशेषाधिकार को भी माफ कर सकता है। “जब मतदाता विशेषाधिकार को माफ करने का फैसला करता है और इसके बजाय स्वयंसेवकों ने यह खुलासा करने का फैसला किया कि उसने किसे वोट दिया था। मतदाता को करने से कोई नहीं रोक सकता। न्यायमूर्ति खन्ना ने लिखा है कि क्या कोई शिकायत दर्ज की जा सकती है, जिसमें मतदाता के मुंह को बंद रखने के साथ-साथ वह मतदाता के मुंह को सील क्यों रखना चाहता है, जिसके लिए उसने मतदान किया था। यह फैसला 2018 में उत्तर प्रदेश के एक जिला पंचायत में अविश्वास प्रस्ताव के मतदान को अलग करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील पर आया। उच्च न्यायालय ने पाया कि पंचायत के कुछ सदस्यों ने मतदान की गोपनीयता के नियम का उल्लंघन किया था। यह निष्कर्ष निकालने के लिए सीसीटीवी फुटेज पर निर्भर करता है कि उन्होंने या तो मतपत्रों को प्रदर्शित किया था या उनके आचरण से पता चलता है कि उन्होंने किस तरह से मतदान किया था। शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश क्षत्रप पंचायत और जिला पंचायत अधिनयम 1961 की धारा 28 (8) का हवाला दिया। इस प्रावधान में कहा गया है कि गुप्त मतदान के लिए निर्धारित तरीके से मतदान करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव रखा जाएगा। शीर्ष अदालत ने अगले दो महीनों के भीतर फिर से मतदान का आदेश दिया। इसने इलाहाबाद के जिला न्यायाधीश या उनके नामित व्यक्ति को पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्य करने का आदेश दिया। बेंच के लिए न्यायमूर्ति खन्ना ने आदेश दिया कि मतदान गुप्त मतदान प्रणाली द्वारा किया जाना चाहिए। ....وسعت8
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@The9mayankمنذ 4 سنواتNew pattern and one liner are awesome sir.pls continue with your time
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@gabbar...5614منذ 4 سنواتAap great ho sir.I love you sir. 1
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@sonukumargupta8976منذ 4 سنواتThis lecture is very effective for me and l think for everyone. You can extend time as you wish. 2
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@dreamupsc5886منذ 4 سنواتsir ek app aata h G news uspr the Hindu k editorial ko hm hindi me pd skte h aap us aap ki help le lijiye. 5
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@Alexa-or6xlمنذ 4 سنواتThank you so much. Sir Nice session sir.
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@shalini1572منذ 4 سنوات100% agree sir you always do better for us..
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@bsapradyumnmishra6494منذ 4 سنواتसर आप जब चाहे तब अपने सुविधानुसार टाइमिंग कर सकते हैं। हमे इसकी अत्यंत आवश्यकता है। ऐसे ही इनोवेशन करते रहिए।। आप के सदा आभारी रहेंगे।।।।। 1
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@sachingaur4172منذ 4 سنواتSir this is the best method of teaching .Mazaa aa gaya
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@pagalShyamPremi7منذ 4 سنواتजय श्री श्याम सभी यूपीएससी प्रेमियों को 6
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@allinone.4398منذ 4 سنواتSir it's true you are doing really hard work for us.
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@priyankatripathi6355منذ 4 سنواتSir u r great. I don't hv words for u.. We like ur innovation
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@MANISH_SINGH_SIKRAWALمنذ 4 سنواتहमलोग पूर्णतया समर्पित हैं , आपके बदलाव स्वागतयोग्य हैं। आपका बहुत बहुत आभार। 1
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@kirtipatel6032منذ 4 سنواتSir aaj ki class best hai. Yehi format hi sahi hai. Or time aapko jaisa sahi lage. Thank you
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@sibbusingh790منذ 4 سنواتQ.निम्नलिखित कथनों पर विचार करें: 1.सत्यभामा पोर्टल खान मंत्रालय की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रोग्राम स्कीम के तहत लांच किया गया 2. इस पोर्टल को नीति आयोग के एनजीओ दर्पण पोर्टल से समेकित किया गया उपर्युक्त कथनों में से कौन सा सही है: (A)1सही ( B) 2सही (C)1&2सही (D) न तो 1न ही 2 ....وسعت6
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@ptripathi7025منذ 4 سنواتSir plz continue .ur innovation.ur Hindu classess.we r always..accept ur innovation nd teaching style✌️✌️✌️
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@pushpakumari5124منذ 4 سنواتSir ! आपको किसी Comments की जरुरत नहीं । अपका पढाने का तरीका अभूतपूर्व हैं । हम सब आपके साथ हैं । Thank u Sir ! 1
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@RaviSingh-vx4bwمنذ 4 سنواتDear sir , your analysis & innovation is not comparable .you can take your own are unvaluable.thank you very much for your such deep devotion for us.
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@vaibhavmishra5959منذ 4 سنواتहम लोग सहमत हैं सर क्लास 10बजे से करिए आप आप हम लोगो के लिए भगवान के रूप में आए हैं 5
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@craftwithme3662منذ 4 سنواتSir aapka the hindu discussion innovation current issues ko minimum Page se maximum knowledge coverage de raha h.thanks you so much sir .
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@zakiabano388منذ 4 سنواتyes sir u can free to choose ur time because ur hindu discussion is really awesome we need it badly thank u so much sir ....وسعت
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@hemantkumarsingh8946منذ 4 سنواتSir aapka dedication humko embarrass kar deta hai aapki lagan dekh kar dil bhar jata hai sir please aap is initiative ko continue rakhiye aur jo time aapko id="hidden13" class="buttons"> sahi lage usi time par editorial karaye. Please aap un bachho par dhyan dijiye jo aapki mehnat ko samajhte hain aur exam nikalne ki asha rakhte hain. Time pass waale to waise bhi time pass hi karenge. Aaj yaha to kal kahi aur. ....وسعت
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@BHANUPRATAP-tm6jjمنذ 4 سنواتQ:- भारत को आज सीमा पर दो मोर्चों का सामना करना पड़ रहा है परंतु विदेश नीति एक मोर्चे पर आक्रामक है तो दूसरे पर शालीन। इसे स्पष्ट करते हुए भारतीय विदेश नीति की भविष्य की रहा का निर्धारण कीजिए। India’s continuing two-front conundrum भारत का निरंतर दो-मोर्चा है 1962 की गलती आज शिक्षाप्रद है - पाकिस्तान के बारे में एक जुनून और चीन के बारे में शालीनता 1959 के बाद से, जब भारत-चीन के संबंध तेजी से बिगड़े, तो भारत ने जाना कि उसके दो भू-राजनीतिक विरोधी हैं। चीन और पाकिस्तान के बारे में, अमेरिकी शिक्षाविद, कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वेन विलकॉक्स, ने उत्तरजीविता में एक लेख में कहा कि भारत को "सभी दांव हेज करना और सभी आकस्मिकताओं को कवर करना है"। हाल ही में, भारत के थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवाने ने मई में फिर से इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस में आश्वस्त होकर कहा कि भारतीय सेना "टू-फ्रंट" युद्ध के लिए "जीवित" बनी हुई है। रणनीति और दो युद्ध जब भी भारत यह भूल गया है कि उसके दो विरोधी हैं और अपने गार्ड को नीचा दिखाते हैं, तो उसने इसके लिए मंहगा भुगतान किया है। इसके विपरीत, जब भी भारत ने दोनों तिमाहियों से संभावित खतरे की संभावना के लिए जिम्मेदार ठहराया है, यह अच्छा किया है। दो स्पष्ट उदाहरण 1962 और 1971 के युद्ध हैं। 1962 में, भारत के प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और रक्षा मंत्री वी.के. कृष्णा मेनन दोनों का मानना था कि भारत की सुरक्षा के लिए खतरा मुख्य रूप से पाकिस्तान से था। 1971 में, प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के समर्थन में एक संभावित चीनी कदम उठाया। इसलिए, भारत ने भारत सरकार और सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक संघ की सरकार के बीच शांति, मित्रता और सहयोग की संधि के रूप में एक बीमा पॉलिसी निकाली। पहले की गई गलती आज शिक्षाप्रद है। पाकिस्तान की ओर से खतरे को लेकर एक जुनून है, साथ ही साथ चीन की शालीनता की एक हद तक, क्योंकि हाल ही में डेपसांग, चुमार, और डोकलाम में स्टैंड-अप का दुरुपयोग किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान (अप्रैल 2018) और ममल्लापुरम, तमिलनाडु (अक्टूबर 2019) के बीच बातचीत ने नई दिल्ली में विदेश और सुरक्षा नीति की योजना में शामिल लोगों को अंधा कर दिया। ....وسعت8
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@rajnisaini8393منذ 4 سنواتThank you sir, as your wise, presentation nice and effective
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@payalsahay9218منذ 4 سنواتThis new strategy is wonderful Keep it up
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@ravikumawat7307منذ 4 سنواتYes sir we are with you .
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@durgeshvermapujariمنذ 4 سنواتSir apki class regular dekhte h . parivartan jab bhi late h jabardast rahta h.10 AM no problem. salute your hard work and devotion 1
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@BHANUPRATAP-tm6jjمنذ 4 سنواتQ:- भारत की विदेश नीति को प्रभावित करने वाले आंतरिक कारकों में से राजनीतिक दलों की भूमिका इस प्रकार प्रमुख भूमिका निभाती है। Lost in clarifications: On Modi's LAC statement स्पष्टीकरण में खोया: मोदी के एलएसी बयान पर बॉर्डर क्लैश पर पीएम मोदी की टिप्पणी सरकार के खराब मैसेजिंग के अभिलक्षण हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुक्रवार को एक सर्वदलीय बैठक में टिप्पणी की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि न तो चीन द्वारा कोई घुसपैठ की गई थी और न ही कोई घुसपैठिया मौजूद था, जिससे राजनीतिक तूफान आया। 15 जून की रात को न केवल हिंसा हुई थी, जिसमें दावा किया गया था कि 20 भारतीय सैनिकों ने चीन की ओर से गैलवान घाटी में एलएसी पर भारत की संरचनाओं को खड़ा किया था, चीनी सैनिक लद्दाख में कहीं और भारतीय क्षेत्र में मौजूद हैं, जिसमें उत्तरी बैंक भी शामिल है। पैंगोंग झील। विपक्ष द्वारा उनकी टिप्पणी के साथ समस्याओं को उजागर करने के बाद, प्रधान मंत्री कार्यालय शनिवार को एक बहुत आवश्यक स्पष्टीकरण जारी करने के लिए ले जाया गया था, पीएम ने कहा कि केवल गालवान घाटी में स्थिति का उल्लेख कर रहे थे "हमारे सशस्त्र की बहादुरी के परिणामस्वरूप" बलों "जो एक चीनी अपराध को नाकाम कर दिया। यहां तक कि अगर पीएमओ ने राजनीतिक तूफान को "एक शरारती व्याख्या" के लिए जिम्मेदार ठहराया, तो यह स्पष्ट है कि पीएम ने अपने शब्दों को ध्यान से नहीं चुना। वास्तव में, उनकी टिप्पणियों को चीनी राज्य मीडिया द्वारा पहले ही जब्त कर लिया गया था, और बीजिंग के दावों का समर्थन करने के रूप में देखा गया था कि उसके सैनिकों ने एलएसी को पार नहीं किया और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की हालिया कार्रवाइयों को सही ठहराया। एमईए ने शनिवार को अपना बयान जारी किया, जिसमें दोहराया गया कि चीनी ने एलएसी पार कर दी थी और लाइन के पार ढांचे खड़े कर दिए थे। हालांकि यह स्पष्ट होना चाहिए कि किसी भी भाषण में दो स्पष्टीकरणों से कम की आवश्यकता नहीं है, इसके संदेशन में गंभीर समस्याएं हैं, विवाद ने केवल सीमा मुद्दे पर सरकार के खराब संचार को रेखांकित किया है। गालवान घाटी में छह सप्ताह से अधिक के तनाव के बाद लोगों की जान चली गई। इस दौरान, जनता को अंधेरे में रखा गया था कि एलएसी के साथ क्या लेन-देन हो रहा था। सच है, राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील मुद्दों पर बातचीत करने के लिए सार्वजनिक डोमेन में हर विवरण साझा करना संभव नहीं है। वास्तव में, वर्तमान संकट का समाधान, और एलएसी के साथ विभिन्न बिंदुओं पर तत्काल आवश्यक होने वाली विघटन, केवल कूटनीति के माध्यम से प्रगति कर सकता है। उसी समय, मौन का एक कंबल शायद ही सरकार के हितों की सेवा करता है। समय पर और विश्वसनीय जानकारी का अभाव केवल अटकलें और अलार्म को ईंधन देगा। चुप्पी ने घरेलू राजनीति और दोषपूर्ण खेल को भी जन्म दिया है, ऐसे समय में जब भारत कारगिल के बाद से संभवतः अपनी सबसे बड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती का सामना कर रहा है। शुक्रवार की सर्वदलीय बैठक निश्चित रूप से सही दिशा में एक कदम थी, भले ही यह कुछ हफ्ते बहुत देर से आया हो। भारत की चीन नीति 1988 के रूप में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में आ सकती है, जिसने 1962 के बाद संबंधों के सामान्यीकरण को चिह्नित किया। 1967 के बाद की सबसे खराब हिंसा के बाद संबंधों के लिए आगे का रास्ता तैयार करने के लिए भारत के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण कार्यों को कैसे शामिल किया जाए, इसकी एक मापा मूल्यांकन की आवश्यकता होगी। शक्तिशाली पड़ोसी। यह इनकार में होने या तथ्यों को अस्पष्ट करने के प्रयास से नहीं हो सकता है। एक समाधान के लिए पहला कदम प्रकृति और समस्या की भयावहता का एहसास है। ....وسعت5
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@sonibalajaiswal4458منذ 4 سنواتAp k sath mujhe apna upsc ka safar asan lgta h sir Thank you for being here
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@richayadav6350منذ 4 سنواتThnq sir. Aap jaisa teacher Bhut kismt valo ko milta h. 10 Am
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@premlatabharti3443منذ 4 سنواتThank you sir for this We are always with you, innovation bhut achha laga aise hi padhaiye
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@Uttamkumar-si3owمنذ 4 سنواتJi bilkul sir 10 bje bhi thik rhega . Jay hinnd.
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@shivaniborana4764منذ 4 سنواتYess sir. I agree with you. & your innovations are best sir. Thankuhhh so much for this effort s☺☺☺
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@rdorahulkarnمنذ 4 سنواتBilkul agree hoon sir aapke decision se.aap to lifeline bnkr aae hain youtube pr hmare liye
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@nikilkumar7264منذ 4 سنواتApka style bahut jyada focus krne pr majbur kr deta h sir
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@mehulmayatra8386منذ 4 سنواتaao ko jo bhi thik lage aap kr do sir. aap jaisa koi nahi smja skta.shukriya sir
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@oo7swsh432منذ 4 سنواتThis is fantastic. Now we can note down everything. This PPT is better than previous one
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@preetisinghyadav6637منذ 4 سنواتSir apka hr innovation hamare hit me hi hoga. Ap kariye achaa guru apne student ke future ke kuch b kr skte h. U r also innovative. Motivater, class="buttons"> god bless u sir. Go ahead. Asim uchaeyno pe ap pahuche sir. Prnam sir ....وسعت
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@yogeshmeena5798منذ 4 سنواتसर आप जो भी innvovation करेंगे वो हमारे लिए अच्छे ही होंगे. Aapki padai hui har chiz achi hoti h sir.. Bhagwan apko or apki family ko hmesha khush rakhe..
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@shivanisoni589منذ 4 سنواتYes sir you can do whatever you want to do .
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@bharti552منذ 4 سنواتI m one off them who never comment anywhere But after seen Your effort I M speechless. salute to Your Effort Sir Take Your Own time for analysis don't id="hidden18" class="buttons"> Give Explanation to those people who never understand & respect Your Hard Work U are giving Your 100% & i can feel this. I m also living a small place where i can't Find enough resources for preparation even Hindu & other famous newspapers are not available here. Once again Thanks for giving us right guidance. ....وسعت
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@puneetkanaujiya9471منذ 4 سنواتYes sir it too attractive and learning keep it up
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@vrindeyمنذ 4 سنواتInnovation is where imagination meets ambition
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@sabakalimshaikh4215منذ 4 سنواتSir GGG We want innovations+UPSC with Sunil sir . Guruji AAP ki har baat Manzoor..
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@udhamsinghyadav3566منذ 4 سنواتSir ,this class is very important for me ,so please countinuing this class
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@kartikeyshukla9027منذ 4 سنواتCurrently i m working as class -2 officer in Govt of MP .aapke lectures , mehnat , innovation but most importantly dedication ne naa keval ek acche id="hidden19" class="buttons"> lok sevak ke liye aapki tarah ek uccha adarsh stapit krne ki prerna dii .. Bilki ek baar phir upsc exam ke liye meri abhivirti nirman. bhhhut dhyanbad isi tarahhh Prernaa aurr manobal pradan krte rahe .. Aabhar ....وسعت
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@mamtasanwal1167منذ 4 سنواتSir.your class is full of knowledge ..it's very helpful for those students who can't afford coaching classes .your class is also entertaining class
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द हिंदू = UPSC crack= सुनील सर 57
जो अनेक अनेक रगों
में
विभाजित होता है
और पठन पाठन प्रक्रिया द्वारा फिर
एक हो जाता है शब्द के आलोक में
Sir aap Baje hi class
ताकि महिला भी अपना घर का काम कर ले और शान्ति से Hindu ....وسعت 21
Ok sir ap class time 10 Am Kar dijiyega no problem sir
Thank you so much sir ....وسعت 22
Great personality sunil singh sir. Thanks sir
आपका सहृदय धन्यवाद एवं आभार ....وسعت 2
Plz aap aise hi kraye
You are a best teacher
भारत को आज सीमा पर दो मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है परंतु विदेश नीति एक मोर्चे पर आक्रामक तो दूसरे पर शालीन है इसे स्पष्ट करते हुए भारतीय विदेश नीति को भविष्य की धार का निर्धारण कीजिए।
उत्तर:-✍️✍️✍️✍️✍️
वर्तमान पूर्ण कालीन भारत कोरोनावायरस से उबर नहीं पाया किसी एलएसी पर भारत के साथ आक्रामक नीति अपना रहा है साथ ही भारत को पूरा का पुराना शत्रु पाकिस्तान जो हमेशा से वार पर वार करता रहता है इसीलिए वर्तमान में भारत आज सीमा पर दो मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है यहां भारत पाकिस्तान पर विदेश नीति का आक्रामक रुख द्वारा अपना रहा है वहीं दूसरी ओर चीन पर विदेश नीति की शादी नीता का रुख अपना रहा है
इसी परिपेक्ष में हम अगर कुछ पुराने मुद्दों को देखें तो ऐसा प्रतीत होता है कि 1959 से ही भारत वास्तविक शत्रु बना रहा है
1962 के दशक में चीन का युद्ध हुआ तो उसमें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने हिंदू चीनी भाई भाई का नारा दिया और सिर्फ भारत की सुरक्षा के समक्ष एकमात्र खतरा पाकिस्तान को समझा और इसका परिणाम 1962 का युद्ध हुआ और भारत के हाथ से तिब्बत का क्षेत्र निकल गया
इसी स्थिति को भागते हुए 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी उन्हें आशंका थी कि भारत को चीन मदद दे सकता है इसीलिए उन्होंने एक शांति और मित्रता सहयोग की संधि की जो भारत और यू एस एस आर के बीच हुई इसे ही डिप्लोमेटिक बीमा पॉलिसी कहा जाता है जिससे चीन शांत बैठ गया
वर्तमान में सरकार की विदेश नीति:-
पीएम नरेंद्र मोदी जी कब की बहन वार्ता 2018 और मामन पुरम तमिलनाडु में 2019 में मोदी और सी जिनपिंग की जिसमें कहा जा सकता है कि भारत और जारी ग्रुप से वार्ता करना तथा चीन और भारत के संबंधों में मिठास लाना चाहता है लेकिन वास्तविक समस्या सीमाओं की है जो हर बार वार्ता से बाहर होती हैं
भविष्य की राह:-
भारत को विदेश नीति के संदर्भ में जैसा इंदिरा गांधी के कार्यकाल में इंदिरा गांधी ने विदेश नीति अपनाई थी जिसे डिप्लोमेटिक पॉलिसी कहा जाता है इसी तरह की पॉलिसी अपनाने की आवश्यकता है ....وسعت 7
Apke jaisa analysis pure you tume m hindi m koi bhi nahi karata hai .
AAP hindi walo k liye Deepak hai 2
Secrecy of ballot is the cornerstone of free and fair elections, says Supreme Court सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मतपत्र की गोपनीयता स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की आधारशिला है
हालांकि, एक मतदाता स्वेच्छा से गैर-प्रकटीकरण के विशेषाधिकार को माफ कर सकता है, यह कहता है
मतपत्र की गोपनीयता स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की आधारशिला है। एक मतदाता का चुनाव स्वतंत्र होना चाहिए और लोकतंत्र में गुप्त मतदान प्रणाली इसे सुनिश्चित करती है, सर्वोच्च न्यायालय ने एक निर्णय लिया है।
मतदाताओं को मतपत्रों की गोपनीयता के अधिकार की रक्षा करना कानून की नीति है। यहां तक कि मतदाता को यह बताने के लिए भी मजबूर किया जा सकता है कि उसने मतदान किया है या नहीं, यह एक दूरस्थ या विशिष्ट संभावना है। मताधिकार का प्रयोग करने की स्वतंत्रता, "जस्टिस एनवी रमना, संजीव खन्ना और कृष्ण मुरारी की तीन-न्यायाधीश पीठ ने मनाया।
अदालत ने कहा कि मतपत्रों की गोपनीयता का सिद्धांत संवैधानिक लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण संकेत है।
न्यायमूर्ति खन्ना, जिन्होंने निर्णय लिखा, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 94 का उल्लेख किया, जो मतदाता के विशेषाधिकार को उसकी पसंद के बारे में गोपनीयता बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है।
हालांकि, एक मतदाता स्वेच्छा से गैर-प्रकटीकरण के विशेषाधिकार को भी माफ कर सकता है।
“जब मतदाता विशेषाधिकार को माफ करने का फैसला करता है और इसके बजाय स्वयंसेवकों ने यह खुलासा करने का फैसला किया कि उसने किसे वोट दिया था। मतदाता को करने से कोई नहीं रोक सकता। न्यायमूर्ति खन्ना ने लिखा है कि क्या कोई शिकायत दर्ज की जा सकती है, जिसमें मतदाता के मुंह को बंद रखने के साथ-साथ वह मतदाता के मुंह को सील क्यों रखना चाहता है, जिसके लिए उसने मतदान किया था।
यह फैसला 2018 में उत्तर प्रदेश के एक जिला पंचायत में अविश्वास प्रस्ताव के मतदान को अलग करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील पर आया।
उच्च न्यायालय ने पाया कि पंचायत के कुछ सदस्यों ने मतदान की गोपनीयता के नियम का उल्लंघन किया था। यह निष्कर्ष निकालने के लिए सीसीटीवी फुटेज पर निर्भर करता है कि उन्होंने या तो मतपत्रों को प्रदर्शित किया था या उनके आचरण से पता चलता है कि उन्होंने किस तरह से मतदान किया था।
शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश क्षत्रप पंचायत और जिला पंचायत अधिनयम 1961 की धारा 28 (8) का हवाला दिया। इस प्रावधान में कहा गया है कि गुप्त मतदान के लिए निर्धारित तरीके से मतदान करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव रखा जाएगा।
शीर्ष अदालत ने अगले दो महीनों के भीतर फिर से मतदान का आदेश दिया। इसने इलाहाबाद के जिला न्यायाधीश या उनके नामित व्यक्ति को पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्य करने का आदेश दिया। बेंच के लिए न्यायमूर्ति खन्ना ने आदेश दिया कि मतदान गुप्त मतदान प्रणाली द्वारा किया जाना चाहिए। ....وسعت 8
Nice session sir.
Thank you
1.सत्यभामा पोर्टल खान मंत्रालय की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रोग्राम स्कीम के तहत लांच किया गया
2. इस पोर्टल को नीति आयोग के एनजीओ दर्पण पोर्टल से समेकित किया गया
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा सही है:
(A)1सही ( B) 2सही
(C)1&2सही (D) न तो 1न ही 2 ....وسعت 6
हम सब आपके साथ हैं । Thank u Sir ! 1
आप हम लोगो के लिए भगवान के रूप में आए हैं
5
u can free to choose ur time
because ur hindu discussion is really awesome
we need it badly
thank u so much sir ....وسعت
India’s continuing two-front conundrum भारत का निरंतर दो-मोर्चा है
1962 की गलती आज शिक्षाप्रद है - पाकिस्तान के बारे में एक जुनून और चीन के बारे में शालीनता
1959 के बाद से, जब भारत-चीन के संबंध तेजी से बिगड़े, तो भारत ने जाना कि उसके दो भू-राजनीतिक विरोधी हैं। चीन और पाकिस्तान के बारे में, अमेरिकी शिक्षाविद, कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वेन विलकॉक्स, ने उत्तरजीविता में एक लेख में कहा कि भारत को "सभी दांव हेज करना और सभी आकस्मिकताओं को कवर करना है"। हाल ही में, भारत के थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवाने ने मई में फिर से इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस में आश्वस्त होकर कहा कि भारतीय सेना "टू-फ्रंट" युद्ध के लिए "जीवित" बनी हुई है।
रणनीति और दो युद्ध
जब भी भारत यह भूल गया है कि उसके दो विरोधी हैं और अपने गार्ड को नीचा दिखाते हैं, तो उसने इसके लिए मंहगा भुगतान किया है। इसके विपरीत, जब भी भारत ने दोनों तिमाहियों से संभावित खतरे की संभावना के लिए जिम्मेदार ठहराया है, यह अच्छा किया है। दो स्पष्ट उदाहरण 1962 और 1971 के युद्ध हैं।
1962 में, भारत के प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और रक्षा मंत्री वी.के. कृष्णा मेनन दोनों का मानना था कि भारत की सुरक्षा के लिए खतरा मुख्य रूप से पाकिस्तान से था। 1971 में, प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के समर्थन में एक संभावित चीनी कदम उठाया। इसलिए, भारत ने भारत सरकार और सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक संघ की सरकार के बीच शांति, मित्रता और सहयोग की संधि के रूप में एक बीमा पॉलिसी निकाली।
पहले की गई गलती आज शिक्षाप्रद है। पाकिस्तान की ओर से खतरे को लेकर एक जुनून है, साथ ही साथ चीन की शालीनता की एक हद तक, क्योंकि हाल ही में डेपसांग, चुमार, और डोकलाम में स्टैंड-अप का दुरुपयोग किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान (अप्रैल 2018) और ममल्लापुरम, तमिलनाडु (अक्टूबर 2019) के बीच बातचीत ने नई दिल्ली में विदेश और सुरक्षा नीति की योजना में शामिल लोगों को अंधा कर दिया। ....وسعت 8
Keep it up
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Lost in clarifications: On Modi's LAC statement स्पष्टीकरण में खोया: मोदी के एलएसी बयान पर
बॉर्डर क्लैश पर पीएम मोदी की टिप्पणी सरकार के खराब मैसेजिंग के अभिलक्षण हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुक्रवार को एक सर्वदलीय बैठक में टिप्पणी की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि न तो चीन द्वारा कोई घुसपैठ की गई थी और न ही कोई घुसपैठिया मौजूद था, जिससे राजनीतिक तूफान आया। 15 जून की रात को न केवल हिंसा हुई थी, जिसमें दावा किया गया था कि 20 भारतीय सैनिकों ने चीन की ओर से गैलवान घाटी में एलएसी पर भारत की संरचनाओं को खड़ा किया था, चीनी सैनिक लद्दाख में कहीं और भारतीय क्षेत्र में मौजूद हैं, जिसमें उत्तरी बैंक भी शामिल है। पैंगोंग झील। विपक्ष द्वारा उनकी टिप्पणी के साथ समस्याओं को उजागर करने के बाद, प्रधान मंत्री कार्यालय शनिवार को एक बहुत आवश्यक स्पष्टीकरण जारी करने के लिए ले जाया गया था, पीएम ने कहा कि केवल गालवान घाटी में स्थिति का उल्लेख कर रहे थे "हमारे सशस्त्र की बहादुरी के परिणामस्वरूप" बलों "जो एक चीनी अपराध को नाकाम कर दिया। यहां तक कि अगर पीएमओ ने राजनीतिक तूफान को "एक शरारती व्याख्या" के लिए जिम्मेदार ठहराया, तो यह स्पष्ट है कि पीएम ने अपने शब्दों को ध्यान से नहीं चुना। वास्तव में, उनकी टिप्पणियों को चीनी राज्य मीडिया द्वारा पहले ही जब्त कर लिया गया था, और बीजिंग के दावों का समर्थन करने के रूप में देखा गया था कि उसके सैनिकों ने एलएसी को पार नहीं किया और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की हालिया कार्रवाइयों को सही ठहराया। एमईए ने शनिवार को अपना बयान जारी किया, जिसमें दोहराया गया कि चीनी ने एलएसी पार कर दी थी और लाइन के पार ढांचे खड़े कर दिए थे।
हालांकि यह स्पष्ट होना चाहिए कि किसी भी भाषण में दो स्पष्टीकरणों से कम की आवश्यकता नहीं है, इसके संदेशन में गंभीर समस्याएं हैं, विवाद ने केवल सीमा मुद्दे पर सरकार के खराब संचार को रेखांकित किया है। गालवान घाटी में छह सप्ताह से अधिक के तनाव के बाद लोगों की जान चली गई। इस दौरान, जनता को अंधेरे में रखा गया था कि एलएसी के साथ क्या लेन-देन हो रहा था। सच है, राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील मुद्दों पर बातचीत करने के लिए सार्वजनिक डोमेन में हर विवरण साझा करना संभव नहीं है। वास्तव में, वर्तमान संकट का समाधान, और एलएसी के साथ विभिन्न बिंदुओं पर तत्काल आवश्यक होने वाली विघटन, केवल कूटनीति के माध्यम से प्रगति कर सकता है। उसी समय, मौन का एक कंबल शायद ही सरकार के हितों की सेवा करता है। समय पर और विश्वसनीय जानकारी का अभाव केवल अटकलें और अलार्म को ईंधन देगा। चुप्पी ने घरेलू राजनीति और दोषपूर्ण खेल को भी जन्म दिया है, ऐसे समय में जब भारत कारगिल के बाद से संभवतः अपनी सबसे बड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती का सामना कर रहा है। शुक्रवार की सर्वदलीय बैठक निश्चित रूप से सही दिशा में एक कदम थी, भले ही यह कुछ हफ्ते बहुत देर से आया हो। भारत की चीन नीति 1988 के रूप में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में आ सकती है, जिसने 1962 के बाद संबंधों के सामान्यीकरण को चिह्नित किया। 1967 के बाद की सबसे खराब हिंसा के बाद संबंधों के लिए आगे का रास्ता तैयार करने के लिए भारत के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण कार्यों को कैसे शामिल किया जाए, इसकी एक मापा मूल्यांकन की आवश्यकता होगी। शक्तिशाली पड़ोसी। यह इनकार में होने या तथ्यों को अस्पष्ट करने के प्रयास से नहीं हो सकता है। एक समाधान के लिए पहला कदम प्रकृति और समस्या की भयावहता का एहसास है। ....وسعت 5
Thank you for being here
aap jaisa koi nahi smja skta.shukriya sir
Aapki padai hui har chiz achi hoti h sir..
Bhagwan apko or apki family ko hmesha khush rakhe..
bhhhut dhyanbad isi tarahhh
Prernaa aurr manobal pradan krte rahe ..
Aabhar ....وسعت